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जगमग झालर दिये
सभी ने बिगड़ी बात बना ली
चमक उठी नटखट बच्चों की
आँखों में दीवाली
भोले
उल्लासों से जैसे हिला मिला लगता था
आज सुबह का सूरज कितना खिला खिला लगता था
साँझ ढले खिल गयी दियों में
सूरज की वह लाली
चकरी है
अनार भी है, है बम राकेट चटाई
नकली गन से ही मुन्नू ने कितनी धूम मचाई
देख फुलझड़ी छोटी गुड़िया
बजा रही है ताली
विधि विधान
से श्रद्धा से सबकी पूजा पाती है
आँगन में लक्ष्मी गणेश की मूरत मुस्काती है
अम्मा के हाथों में सजती है
पूजा की थाली
– रवि शंकर मिश्र रवि
१२ नवंबर २०१२ |