|
|
दीप धरो
वर्ष २०१२ का दीपावली
संकलन |
|
|
दिवाली कल भी, आज भी !
|
दिवाली न कल थी
न आज है!
दिवाली तो तब से है
जब से मानव मन में
दियों की आवलियाँ जली थीं
दिवाली न कल थी
न आज है ... !
एक दिन पहले दिये जलाने से
दूसरे दिन अंधेरा नहीं हो जाता
न दूसरे दिन दिये जलाने से
पहला दिन अंधेरे में डूबता है!
मन में चिराग जले
तो रोज़ ही दिवाली है!
कल भी आज भी!
दिवाली न कल थी
न आज है ... !
दिवाली तब भी नहीं है
जब दीपों के मेले हों
और मन में अंधेरा हो!
दिवाली तब भी कहाँ
जब दिल द्वेष-भाव का बसेरा हो ?
और बाहर नया सवेरा हो!
दिवाली तो तब प्रतिदिन है
जब अंदर-बाहर उजाला हो!
दिवाली न कल थी
न आज है ... !
राज हीरामन
१२ नवंबर २०१२ |
|
|
|
|
|
|