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दीप धरो
वर्ष २०१२ का दीपावली संकलन

दो कविताएँ



 

उपहास

तेल
बाज़ार तक पहुँचा नहीं
और बिजली
गाँव तक सरकी नहीं
तो फिर
किस का उपहास करने हर साल
दीवाली आ जाती है ?

दीवाली दिल्ली गयी

वह आ गयी
फिर भी
मेरी गली सूनी पड़ी है
और ज्योति
कहीं सिकुड़ गयी है ।
बच्चे पूछते हैं ...
दादा ! दीवाली कहाँ है ?
कौन बताये अब नादानों को
कि
दीवाली दिल्ली गयी है
क्योंकि अयोध्या...
अब राजधानी नहीं रही
और फिलहाल
याने अगले पाँच साल तक
यहाँ आम चुनाव नहीं होगा।

पूजानन्द नेमा

१२ नवंबर २०१२

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