एक-एक को प्यारी दीवाली है !
ममता इस माँ की निराली है ।
तम रूपी बालक को जगाती है ॥
रोशनी शिक्षा की हितकारी है ।
पाकर आलोक जग सुखारी है ॥
एक-एक को प्यारी दीवाली है ।
रजनी अँधेरी उजियारी है ॥
आज दीप-शिखा लहराती है ।
तकदीर सभी की मुसकाती है ॥
असहाय जनो का वह प्राण है ।
कुटियों का भी वह श्रृंगार है ॥
एक-एक को प्यारी दीवाली है ।
रजनी अँधेरी उजियारी है ।।
मन तट आती वह कल्याणी है ।
दूर दुर्भावना को हटाती है ॥
वर्षा सुख-शांति की बरसाती है ।
चिंतामणि मन-ज्योति जगाई है ।।
एक-एक को प्यारी दीवाली है ।
रजनी अँधेरी उजियारी है ।।
मुनीश्वरलाल चिंतामणि
१२ नवंबर २०१२ |