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१-
तिमिर घना हो भले तारों की ज़रा न चले,
सूझे नहीं पथ तो दिए सा जल जायेंगें।
भाव कटु दूर करें जीवन में रस भरें,
बोंयें बीज प्रीत के मधुर फल पायेंगें।
लालसा है लेने की तो देना ज़रा सीख लेना,
ध्यान धरें राम का विघ्न टल जायेंगें।
मन की है चाह यही अब उत्साह यही,
ज्योति कब प्रेम की जग में जलायेंगें।|
२-
देखिये तो हर ओर बहुत हुआ है शोर ,
कारा भला तम की ये कैसे कट पायेगी।
शुचिता रहे मन की पवित्रता लगन की ,
स्नेह से भरो न दीप पीर घट जायेगी।
खिली खिली फुलझड़ी हाथ लिए जादू-छड़ी ,
ये न सोच कोई परी तेरे घर आयेगी।
खीलों औ' खिलौनों की मिठास आसपास बाँट ,
स्वयं ही समृद्धि सब संग मुस्कायेगी।|
-ज्योत्स्ना शर्मा
१२ नवंबर २०१२ |