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बचपन में खेली
साथ संग सहेली
दौड़ दौड़ खाई
बताशा खील मिठाई
रूनझुन पायल संग
ममता के आँगन की याद आए दीवाली
स्मृतियों के आँगन में
फुर्र फुलझड़ी हुई
चकरी सी घूमती
गूँजते पटाखों में
अनार सी खिलखिलाई
दीपों सी मुस्काती याद आए दीवाली
पूजन संग शंख गूँजे
मंगल दीप जलाती
रंगोली के रंगो में
सजी धजी नए कपड़ो में
चाची,मामी संग मुस्काई
मायके फिर याद आए तेरी दीवाली
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--अर्चना ठाकुर
१२ नवंबर २०१२ |