प्यार भरे
नीड़ों पर
नेह की सुगंध लिए दीवाली आई है
दीपकों को जलने दो ! अन्धकार गलने दो !
स्वप्नों के
पंख लिए
खुशियों के रंग लिए
जीवन के मेले में
आशा की
किरण लिए
सौगातें बाँटती
दीवाली आई है
दीपकों को जलने दो ! अन्धकार गलने दो !
दिशाएँ निखारती
निशाएँ सँवारती
धरती से
अम्बर तक
अंधियारा छांटती
रोशनी नहाई सी
दीवाली आई है
दीपकों को जलने दो ! अन्धकार गलने दो !
डॉ. उषा
गोस्वामी
२४ अक्तूबर २०११ |