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दीप धरो
वर्ष २०११ का दीपावली संकलन

दीप जले



 

जो समाज की सबसे निचली
सीढ़ी पर संघर्ष करे।
इस दीपावली उसके घर पर
भी खुशियों के दीप जलें।

अनपढ़ता के अंधकार को
भ्रष्टाचार, गरीबी को।
बहुत हुआ अब आओ मिलकर
पिछड़ेपन को नष्ट करें।

छोड़ निराशा और कुंठाएँ
मन में अब उम्मीद पले।
इस दीपावली पर खुशियों की
उजियारे की बात चले।

-बालेन्दु शर्मा दाधीच

२४ अक्तूबर २०११

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