१-फूलों की लड़ियाँ
फूलों की लड़ियाँ
रंगबिरंगी फ़्राकें पहने
नन्हीं मुन्नी गुड़ियाँ
हाथ पकड़े इक दूजे का
दरवाजे -खिड़कियों में
हवा के हिंडोलों में
झूले, करे अठखेलियाँ
२-दीप
दीप भावों के
महकती चाहों के
जलाना ज़रूर
सूना -सा कोना मन का
झिलमिलाएगा ज़रूर
३-बाती
नेह में भीगी
तन की बाती
दिप -दिपकर जले
रोशन हो राहें जीवन की
४-फुलझड़ियाँ
फुलझड़ियाँ हँसी की
खिलखिलाहटों की
मुसकराहटों की
बिखराओ
चमकती आँखों के जुगनू भी
होड़ लेंगे सितारों से
५-पटाखे
[१]
पटाखे…शोर मचाते, धुआँ उड़ाते
हमें जगाते-
देखो कितनी घुटन है
चारों ओर
तुम्हारे?
जहरीली साँसों को
अब तो अमृत पिलाओ
अंतर्मन की दीवारों को तोड़
अब तो बाहर आओ
[२]
पटाखे……चिनगारियाँ छोड़ते
खूब डराते
हमें जताते-
लगी आग पड़ोस में
घर तेरा भी न बच पाएगा।
गर्म राख की ढेरी पर बैठा तू
कब तक खैर मनाएगा ?
--कमला
निखुर्पा
१ नवंबर २०१०