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दीप धरो
वर्ष २०१० का दीपावली संकलन

दिवाली- पाँच सौगातें

१-फूलों की लड़ियाँ

फूलों की लड़ियाँ
रंगबिरंगी फ़्राकें पहने
नन्हीं मुन्नी गुड़ियाँ
हाथ पकड़े इक दूजे का
दरवाजे -खिड़कियों में
हवा के हिंडोलों में
झूले, करे अठखेलियाँ

२-दीप

दीप भावों के
महकती चाहों के
जलाना ज़रूर
सूना -सा कोना मन का
झिलमिलाएगा ज़रूर

३-बाती

नेह में भीगी
तन की बाती
दिप -दिपकर जले
रोशन हो राहें जीवन की

४-फुलझड़ियाँ

फुलझड़ियाँ हँसी की
खिलखिलाहटों की
मुसकराहटों की
बिखराओ
चमकती आँखों के जुगनू भी
होड़ लेंगे सितारों से

५-पटाखे

[१]
पटाखे…शोर मचाते, धुआँ उड़ाते
हमें जगाते-
देखो कितनी घुटन है
चारों ओर तुम्हारे?
जहरीली साँसों को
अब तो अमृत पिलाओ
अंतर्मन की दीवारों को तोड़
अब तो बाहर आओ

[२]
पटाखे……चिनगारियाँ छोड़ते
खूब डराते
हमें जताते-
लगी आग पड़ोस में
घर तेरा भी न बच पाएगा।
गर्म राख की ढेरी पर बैठा तू
कब तक खैर मनाएगा ?

--कमला निखुर्पा
१ नवंबर २०१०

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