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दीप धरो
वर्ष २०१० का दीपावली संकलन

दीप तुम ऐसे जलाना

दीप तुम ऐसे जलाना

सब अँधेरा दूर कर दे
हर जगह उजियार भर दे
दीप तुम ऐसे जलाना

प्यार का संसार फैले
घर गली अँगनार फैले
दीप तुम ऐसे जलाना

छल-कपट का बन्ध टूटे
नफ़रतों का खेल छूटे
दीप तुम ऐसे जलाना

नयन दीपक झिलमिलाएँ,
मन व आँगन खिलखिलाएँ
दीप तुम ऐसे जलाना

विश्वास का वातावरण हो
प्रेम का हर आचरण हो
दीप तुम ऐसे जलाना

सभी कमियाँ दूर कर दे
जो निराशा चूर कर दे
दीप तुम ऐसे जलाना

-रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
१ नवंबर २०१०

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