|
|
दीप धरो
वर्ष २०१० का दीपावली
संकलन |
|
अबकी बार
अबकी बार दिवाली में जब घर आएँगे मेरे
पापा
खील, मिठाई, चप्पल, सब लेकर आएँगे
मेरे पापा।
दादी का टूटा चश्मा और फटा हुआ चुन्नू
का जूता,
दोनों की एक साथ मरम्मत करवाएँगे मेरे
पापा।
अम्मा की धोती तो अभी नई है; होली पर
आई थी;
उसको तो बस बातों में ही टरकाएंगे
मेरे पापा।
जिज्जी के चेहरे की छोड़ो, उसकी आंखें
तक पीली हैं;
उसका भी इलाज मंतर से करवाएँगे मेरे
पापा।
बड़की हुई सयानी, उसकी शादी का क्या
सोच रहे हो?
दादी पूछेंगी; और उनसे कतराएंगे मेरे
पापा।
बौहरे जी के अभी सात सौ रुपये देने को
बाकी हैं;
अम्मा याद दिलाएगी और हकलाएंगे मेरे
पापा।
--अमर ज्योति
नदीम
१ नवंबर २०१० |
|
|
|
|
|