अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

हुई मकर-संक्रांति
 
मीठे गन्ने में प्रिय तेरे
प्यार का है अहसास

मक्के की चिटकन उम्दा है
खिचड़ी का भी स्वाद
काले तिल को भाया देखो
गोरे गुड़ का साथ

ओढ़े खड़ा दुशाला मौसम
लो ठिठुरन के पास।

पीली लाल पतंग गगन में
फँसी हुई किस हाथ
डोरी तेरे हाथों में प्रिय
रखना मुझको पास

पूर्ण हुई विश्रान्ति खिल उठा
जगमग सूर्य-प्रकाश

हुई मकर-संक्रांति सूर्य की
झिलमिल दिखी उजास
मीठी-मीठी धूप पौष की
कट जाएगा मास।

नन्हे-मुन्ने दिन बढ्ने का
हुआ सुखद आभास

- त्रिलोचना
१५ जनवरी २०१७

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter