|
आज सूरज ने बताया |
|
आज सूरज ने बताया
सर्दियों का अंत अब नजदीक आया
भेद सारे भूलकर हैं मिल गये अब
दाल, चावल, नमक, पानी और सब्जी
प्यार की चंचल थिरकती आग पर यों
बन गई तीखी मसालेदार खिचड़ी
कौन है जिसको
न इसका स्वाद भाया
सूर्य पर आरोप था दक्षिण दिशा की
बेवजह ही तरफ़दारी कर रहा है
भ्रम न फैले विश्व में झूठी ख़बर से
इसलिए वह उत्तरायण हो रहा है
धूप ने फिर से
पुराना तेज पाया
पड़ गईं कमजोर दुख की स्याह रातें
शेष है पर जीतना अच्छे समय का
पर्व खिचड़ी का करे उद्घोषणा यह
आ गया है पास बिल्कुल दिन विजय का
पल छिनों में
फिर नया उत्साह छाया
- सज्जन धर्मेन्द्र
१५ जनवरी २०१७ |
|
|
|
|
|