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मेले में गंगासागर के
 
तिल से बनी गजक खाने को
सबका मन हो आया है
नरम गरम गुड़ की ख़ुशबू ने
हर घर को महकाया है।

बड़के भइया गन्ना झूमैं
छुटके भइया गेहूँ गावैं
भर मिठास स्वर में
मँझली बहना फूली सरसों
दुइ भइअन के बीच सिहावैं
भर उजास कर में

कनकइयों से आसमान ने
ख़ुद को आज सजाया है।

माघी बिहू, पोंगल, खिचड़ी
मेले में गंगासागर के
मिले लोहड़ी से
लाल पुष्प, रोली, अक्षत, गुड़
अर्घ्य दे रहे हैं दिनकर को
बँधे जल-कड़ी से

नए साल का पहला ही दिन
ख़ुशियाँ लेकर आया है!

- रावेंद्रकुमार रवि
१५ जनवरी २०१७

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