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टूसू का परब आज |
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झूम उठी धरती की मोहक अंगडाई
है
मांदर के ताल पर पुरवा लहराई है
गुड की मिठास लिये रिश्तों को सजने दे
सखी आज मौसम को जी भर सँवरने दे
नदिया के तट बाँसुरी
किसने बजाई है
हरियाली खेतों की, धानी चूनर मन की
भीगे से मौसम में साजन के आवन की
थिरक रहे नूपुर ज्यों
गोरी शरमाई है
टूसू का परब आज नाचे मन का मयूर
मतवारे नैनों में प्रीत का नशा है पूर
सूरज की नई किरन
लालिमा सी छाई है
बहक रही मादकता, जाग रही चंचलता
घुँघरू के बोल बजे, बिहु के गीत सजे
घर आँगन वन उपवन
जागी तरुणाई है
- पद्मा मिश्रा
१५ जनवरी २०१७ |
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