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सूरज देव पधारे
 
किरण सुबह की संगम तट से
करने लगी इशारे
चलो नहाने मकर राशि में
सूरज देव पधारे

प्रखर रश्मियाँ गंगा-यमुना
जल में लगीं उतरने
टकरातीं लहरों से लहरें
मणियाँ लगीं बिखरने

अनुपम दृश्य करे सम्मोहित
अपलक नयन निहारे

चले आ रहे लोग दूर से
गाते ढोल बजाते
राग द्वेष को भूल, अजनबी
आपस में बतियाते

हिरदय हो जाता है निर्मल
पल में बिना विचारे

आकर यहाँ मिला करता है
अद्भुत अपनापन
डुबकी एक लगाने पर धुल
जाती हर उलझन

जल पवित्र है संगम का तन-
मन की मैल उतारे

घाट बने हैं जितने उनका
भ्रमण कराने को
दोनों नदियों की मिलती
धारा तक ले जाने को

खड़े प्रतीक्षारत हैं केवट
लेकर नाव किनारे

-कृष्ण कुमार तिवारी
१५ जनवरी २०१७

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