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पर्व मकर संक्रांति
 
सर्दी से व्याकुल धरती पर स्वर्णिम आभा बिखराता है
पर्व मकर संक्रांति हमें कष्टों से राहत पँहुचाता है

गंगा में डुबकी का अवसर, दान करें सब पुण्य कमाएँ
पौष महीने में जब सूरज, राशि मकर पर आ जाता है

अँधियारे को दूर हटाकर, उजियारे का भाव जगाता
हर प्राणी को ॠतु-परिवर्तन का मृदु आभास कराता है

सूरज की स्वर्णिम किरणों का, उत्सव यह होता अति पावन
हर प्राणी के मन में नव, आशा उत्साह जगा जाता है

स्मरण कराता है हमको यह, आज भगीरथ के यत्नों का
जो सुरसरि की अविरल धारा, इस धरती पर ले आता है

आपस में सब खिचड़ी तिल गुड़ के व्यंजन का लुत्फ उठाते
उम्मीद नई मन में भर देता मेल-मिलाप सिखाता है

- सुरेन्द्रपाल वैद्य
१५ जनवरी २०१७

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