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तिल गुड़ की खुशबू सोंधी
 
तिल गुड़ की खुशबू सोंधी ये खास खो न जाये
पुरखों की जो विरासत है पास, खो न जाये

उलझे न साज़िशों में रिश्तों की ये पतंगें
अपनों को गिराने में एहसास खो न जाये

मेले खुशी के जितने भी आएँ ज़िन्दगी में
पर दुख में याद रखना कभी आस खो न जाये

सुख की पतंग उलझे, दुख की मुँडेरों पे गर
छूटे न डोर मन की विश्वास खो न जाये

मिलजुल के आज सोचें, आओ "नदीश" हम सब
दुनिया से मुहब्बत की ये प्यास खो न जाये

- लोकेश नदीश
१५ जनवरी २०१७

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