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फिर आई शीत लहर
 
बिना कहे, चुप्पे से, बिना डरे, ठप्पे से
फिर आई शीत लहर

न हमने बुलवाई, न ही सन्देश दिया
"ऑनलाइन आ जाओ", न ही आदेश किया 
बिन पूछे कमरे में
घुस आई शीत लहर

सभी तरफ चर्चे हैं, शीत लहर-शीत  लहर
ताने सब तन पर हैं, स्वेटर, टोपे, मफलर
काँप  रहे फिर भी हैं,
थर-थर-थर, थर-थर-थर

छींकों के दौर चले, सर्दी में नाक बही
कैसे स्नान करें, इसकी उम्मीद ढही
पानी को छूने से
भी तो लगता है डर

खिचड़ी  का दिन था तो, कौआ स्नान किया
मंदिर में जा बैठे, बगुला बन ध्यान किया
लड्डू फिर खा डाले
खिचड़ी संग, दर्जन भर

- प्रभुदयाल श्रीवास्तव
जनवरी २०२४

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