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हुए उत्तरायण रविदेव
 
देवलोक में दिन निकला है
हुए उत्तरायण रविदेव
जन में जगी उमंग फिर

हटने लगे शीत के तम्बू
खुलने लगा धुंध का घेरा
सर्जन की ठिठुरन कम होती
आशा लाया नया सवेरा
कर्म उष्णता से हरषाते
पुनः शक्तियों को कर प्राप्त
निकले टोली संग फिर...

तिल-गुड़ की साझेदारी ने
संबंधों को न्योता भेजा
चूड़ा-दही लगे हैं करने
इच्छा का संतुष्ट कलेजा
आँगन-आँगन का गठबंधन
अभिव्यक्ति व भावों की भेंट
मन बन गया पतंग फिर

- कुमार गौरव अजीतेन्दु
जनवरी २०२४

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