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           माघ मास की धूप में

 
माघ मास की धूप में, बैठ दुशाला ओढ
शकरकंद को भूनते, आग कोयला फोड

चार दिवस तक मन रहा, पोंगल का त्योहार
नव अन्न-गुड भोग लगे, हाथ जोड़ आभार

चरखी माँझा हाथ में, फैली आज उमंग
बादल से लुक छिप करे, उडने लगी पतंग

तिलकुट की सौंधी महक, फैली द्वार तिवार
बचपन की संक्रांत औ, यादों के चौबार

इठलाती यों उड चली, पीली लाल पतंग
झुके, गिरे, फिर-फिर उड़े, पुलकित मनः मतंग

- स्मृति गुप्ता
जनवरी २०२४

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