राखी मंगल कामना, शुभ आशीष
अपार,
भाई के मन बाँधती, इक धागे से प्यार।
इक धागे से प्यार, सजाती सुंदर मोती,
माँग प्रभु से सार, सुखों की लडी़ पिरोती।
मात-पिता-तुम साथ, मुदित है मन का पाखी,
सँवरा घर संसार, लाज भैया ने राखी।।
अक्षत आशाएँ रहें, रोली हो विश्वास,
भले नयन से दूर हो, मन से हर पल पास।
मन से हर पल पास, ध्यान बस रहे तुम्हारा,
सुख समृद्धि अपार, प्यार सब तुम पर वारा।
मुझे न पाए भूल, रहे कर्तव्यों में रत,
मन के मंगल भाव, रहें सब आशा अक्षत।।
स्नेही मन ऐसी चली, सुंदर मधुर बयार,
प्रकृति मनाती है यहाँ, राखी का त्यौहार।
राखी का त्यौहार, मुदित धरती है ऐसी,
सुरभित, मंद बयार, उमंगित बहना जैसी।
कहती कलियाँ आज, मनाएँ रक्षा बंधन,
बँध भैया के हाथ, बाँध लेंगी स्नेही मन।।
ज्योत्सना
६ अगस्त २०१२ |