रेशम का
नन्हा सा धागा
नेह, मेह बरसाए
अक्षत, रोली थाल सजाये
बहन खड़ी इतराए
मस्तक पर नन्हा सा टीका
भाई का मान बढाए
धागा भी सज उठा कलाई पर
अंतर भीगा जाए
बचपन की स्मृतियाँ मन में
नयी उमंग जगाएँ
उस अँगना की बिसरी यादें
दिल-दिमाग पर छाएँ
--अरुणा सक्सेना
६ अगस्त २०१२ |