सुबह-शाम की
ओर-
न आई राखी वाली चिट्ठी
दिन छोटे हैं
लेकिन उनमें तारीखे हैं
पहले से कुछ ज्यादा
यूँ तेवर तीखे हैं
अब तक के हर किये-करे पर
डाल रहे हैं मिट्टी
रात-रात भर
आसमान का रंग लाल है
व्हाट्स ऐप पर ही अब केवल
हाल-चाल है
नहीं सालती दिन-दिन भर अब
डोरबेल की चुप्पी
दिशाशूल, त्यौहारों पर है
भद्रा कालम हावी
कच्चे धागे रिश्ते
रिश्तों पर है अर्थ प्रभावी
क्रूर डाकिया समय, लगाता
संदेहों
की लुक्की
- शुभम् श्रीवास्तव ओम
१५ अगस्त २०१६ |