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राखी का त्यौहार

 

राखी का त्यौहार बहिन का बड़ा निराला

सुख, सम्पदा, कुशलता
सुख-पल उस में बोकर
बहिन सजाये राखी
नेह के जल में धोकर

तारों जड़ा उदय सूरज जब हो राखी का
भाई के सूने हाथों हँस पड़े उजाला

ये धागों का बंधन तो
मन का बंधन है
भाई के माथे बहिना
शीतल चंदन है

है त्यौहार क्षणों का लेकिन चाव देखिये
भाई ने हाथों में सौ सौ दिन तक डाला

इसमें मन का लाड़ और
अरमान गुँथा है
सच्चे पावन रिश्ते का
अभिमान गुँथा है

कभी बहिन लड़खड़ा गयी गर इस जीवन में
बढ़ा भाई का हाथ, बहिन को सहज सँभाला

- कृष्ण भारतीय
१५ अगस्त २०१६

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