कुछ यादों
सँग जी ले बहना
मत कर नयना गीले
मैं तेरे बचपन का साथी
मैं ही तो था घोड़ा -हाथी
अपनी दुनिया,अपनी बातें
घरवालों से विलग कथा थी
मोल नहीं कुछ दो चुटियों का
हँसकर आँसू पी ले बहना
मत कर नयना गीले
जिस दिन से तू डोली बैठी
अम्मा की मुस्कानें झूठी
माटी का वो एक घरौंदा
बगिया से हरियाली रूठी
बाबा पथराए- से लगते
करके करतल पीले बहना
मत कर नयना गीले
दूर पिया के देश बसी तू
दुनियादारी बीच फ़ँसी तू
राजकुमारी गुड़िया रानी
चारदीवारी बीच कसी तू
ये बतला क्या तुझपर बीती
दाग पड़े क्यों नीले बहना
मत कर नयना गीले
कुशल मनाऊँ तेरी हर दिन
खुशियों से भर जाए जीवन
रेशम के धागों में लिपटा
देख रहा हूँ धुँधला दर्पन
चौबारे में गहन उदासी
दरवाजे हैं सीले बहना
मत कर नयना गीले
- भावना तिवारी
१५ अगस्त २०१६ |