१
राखी की डोरी मनभावन
मन भी हो जाता है सावन
होता बहुत अपूरब ये पल
मधुर-सुहावन औ' अति पावन
२
बहनें नयना - भाई नीर
देखो उनके हिय को चीर
स्नेह डोर से मधु-रस छलके
रिश्ता यह पावन गंभीर
३
भाई-बहन का प्रेम रूहाना
लगता राखी-पर्व सुहाना
भैया हो परदेस अगरचे
सावन भी लगता बेगाना
४
डोर स्नेह की मन का बंधन
बहन लगाये माथे चंदन
कहे बाँध कर डोरी बहना
भ्रात, सदा जीवन में रहना
५
राखी ना कोई व्यापार
भाई-बहन का यह शृंगार
जब-जब आता है यह पर्व
हृदय उमड़ता हर्ष अपार
६
राखी पावनतम बंधन है
हृदय प्रेम माथे चंदन है
आता मंगल पर्व, झूमता
भाई-बहन का पावन मन है
- डा. सरस्वती माथुर
१५ अगस्त २०१६ |