भाई बहना का
त्योहार बहुत पावन है
गाँव-नगर में खुशियों से महका आँगन है
कच्चे धागों का यह पर्व सुहाना लेकिन
आजीवन रहने वाला प्यारा बंधन है
साथ लिए आता इसको वर्षा का मौसम
खूब बरसता खुशियों का रिमझिम सावन है
राखी से है हाथ तिलक से भाल सुशोभित
देख इसे बहना का होता हर्षित मन है
साथ सभी को मिल बढ़ना उन्नति के पथ पर
सोच यही ले पुलकित सबका अंतर्मन है
आपस में हम सबको मिल जुलकर है रहना
यही भाव फिर ले आया रक्षा-बंधन है
- सुरेन्द्रपाल वैद्य
१५ अगस्त २०१६ |