राखी का
त्यौहार है आया, भैया बसे विदेश।
खुशियाँ डिजिटल भर-भर लाया, भैया बसे विदेश।
इंटरनेट पे राखी-लड्डू हमने भेजे थे
कुरियर से तोहफ़ा भिजवाया, भैया बसे विदेश।
वो बचपन की राखी कितनी अलग-सी होती थी
उसकी याद में मन भर आया, भैया बसे विदेश।
अगली बार मनायेंगे हम एक साथ राखी
मैंने खुद को फिर बहलाया, भैया बसे विदेश।
कच्चे धागों सँग जो बाँधा नेह अटूट अपना
दूर भी रहकर खूब निभाया, भैया बसे विदेश।
- संजू शब्दिता
१५ अगस्त २०१६ |