जिन्दगी गर राममय हो जाये तो
बिन्दु जो खुद सिन्धु में
मिल जाये तो
गर सर्मपण हो सके हनुमान सा
भक्त भी हो जायेगा भगवान सा
राममय संसार का ही अर्थ है
राम का आधार तो आदर्श है
शक्ति हो फिर भी न कोई गर्व हो
राममय उज्जवल हृदय
मिल जाये तो
प्रेम पूजा और प्रजा का ध्यान हो
नारि का घर-घर जो सम्मान हो
राम मर्यादा में बँधने की कला
जिसने पाई वो ही धरती पर फला
हो सफल मानव की इस धरती पे पूजा
यह कला गर साँस में
घुल जाये तो,
-उमेश मौर्य
२२ अप्रैल २०१३ |