एक यक्ष प्रश्न

 
तुम आदिशक्ति का रूप हो
सीता !
फिर
लक्ष्मण ने
क्यों खींची
तुम्हारे लिए रेखा ?
क्यूँ नहीं तय की तुमने
खुद अपनी सीमाएँ !
काश...
स्वयं बनाया होता तुमने
अपना सुरक्षा चक्र
तो कुछ और ही होती
रामायण की कथा
न जटायु का मार्मिक अंत
न मंदोदरी व्यथा
न विभीषण सा भ्राता
घर का भेदी
कहलाता
और भी बहुत कुछ होने से बच सकता था
अगर न होने दिया होता तुमने
अपना अपहरण।
या फिर शायद
इसी सन्देश हेतु हुआ होगा
तुम्हारा अवतरण
कि,
हमें खुद ही बनानी होंगी
अपने बचाव की
परिधि,
क्योंकि,
जितना मुश्किल होता है
स्वयं से किये हुए वायदे तोड़ना
उतना ही
सरल होता है
दूसरों के तय किये दायरों का
उल्लंघन !

- संध्या सिंह
२२ अप्रैल २०१३

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