शरण दीजिये

 
  भक्ति का दीप मन में जलाते रहें
राम चरणों में हमको
शरण दीजिये

क्या कपट लोभ, क्या पुण्य, क्या पाप है
क्यों अहिल्या ने झेला यहाँ शाप है
कर्म का लेख सबको बताते रहें
राम चरणों में हमको
शरण दीजिये

सब हमारे लिए बंधु बाँधव रहें
रूप मन में धरे मात्र राघव रहें
भ्रात लक्ष्मण-सा हम नेह पाते रहें
राम चरणों में हमको
शरण दीजिये

वैर ईर्ष्या कहीं भी न संत्रास हो
सत्य की जीत का मन में विश्वास हो
रीत रघुकुल की सबको सुनाते रहें
राम चरणों में हमको
शरण दीजिये

भस्म कर दें अहंकार के नीड़ को
नष्ट कर दें घिरी आसुरी भीड़ को
सूर्य सुख शांति का नित उगाते रहें
राम चरणों में हमको
शरण दीजिये

प्रेम का ये समुन्दर न सूखे कभी
द्वार से लौट जाएँ न भूखे कभी
नेह का जल सभी को पिलाते रहें
राम चरणों में हमको
शरण दीजिये

- पुष्प लता शर्मा
१ अप्रैल २०२४

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