धाम अयोध्या

 
  धाम अयोध्या
पहुँचे राम

रामभक्त हैं उमड़े-उमड़े
राग राममय, बादल घुमड़े
दीवाली-सी सकल दिशाएँ
रावण के हैं फूले तुमड़े
सजा सबेरा
दुलहन शाम

आनंदित है चप्पा-चप्पा
मार रही हैं खुशियाँ ठप्पा
सोने के दरवाज़े चमके
हँसता कल का एक हड़प्पा
खुश है आस्था
खुश है आम

अमृत है सरयू का पानी
जिसका कोई आज न सानी
रामकथा का हुआ जागरण
अमर हो गई एक कहानी
कुहरा हटा
हुआ है घाम

- शिवानन्द सिंह 'सहयोगी'
१ अप्रैल २०२४

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