निज धाम आए राम हैं

 
  धर्म का जय रथ लिए निज धाम आए राम हैं
विश्व नभ पर आज हर्षित खूब छाए राम हैं

है मनोहर छवि बहुत ही सब समाया राम में
हर हृदय की भावनाओं में समाए राम हैं

शुभ दिवस जब स्वर्ण अक्षर में लिखा इतिहास ने
शौर्य की शुभ भावनाओं ने दिखाए राम हैं

हम अहर्निश जब बढ़े अविरल चले संघर्ष में
भक्ति का शुभ भाव पलकों पर बिठाए राम हैं

है सनातन सत्य अब इसकी प्रतिष्ठा हो गई
धर्म के ही मूल में जब जगमगाए राम हैं

बेर शबरी ने खिलाए तृप्त प्रभु को कर दिया
स्नेह की इस भावना ने आजमाए राम हैं

भावनाएं जब कभी होती घनी तूफान सी
बस इसी ने भव्य मन्दिर में बुलाए राम हैं

- सुरेन्द्रपाल वैद्य
१ अप्रैल २०२४

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