राम की आराधना से

 
  राम की आराधना से
कार्य सब होते सफल हैं

कष्टमय पल पल बिताए
किन्तु पग ना डगमगाए
मुस्करा कर सह लिया सब
कंद वन फल मूल खाए

त्याग कर एश्वर्य सारे
सहज वर लेते गरल हैं

खिन्न जब होता बहुत मन
देख अत्याचार के घन
ध्यान में आते उसी क्षण
राम के संघर्ष अनगिन

सादगी में शौर्य पूरित
शक्ति का मिश्रण सरल है

भाव सेवा का हृदय में
है छलकता हर समय में
बह रहा पावन धरा पर
स्नेह सिंधु अपार लय में

शक्ति से अरि दमन करते
भक्त हित रहते तरल हैं

- सुरेन्द्रपाल वैद्य
१ अप्रैल २०२०

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