आज रामनवमी पूजा है

 
  आज रामनवमी पूजा है
उबल रही है खीर

चैत मास का शुक्ल पक्ष है
जन्म लिए श्रीराम
सुष्ठ पुनर्वसु है नक्षत्र
है कर्क लग्न अभिराम
थिरक रही हैं मदिर हवाएँ
गद्गद गगन अमीर

रानी कौशल्या के अँगना
उमड़ रही है भीड़
नेमधरम में जुटा हुआ है
हँसी-खुशी का नीड़
हुई सजावट, गहक रहा है
दशरथ का प्राचीर

मंगलकलश भरा गंगाजल
दिया बालती साँझ
ढोल चढ़ाने की तैयारी
की चिंता में झाँझ
अपना रंग दिखानेवाला
पास पड़ा मंजीर

गई भिगोई डोलचियों में
चुनी चने की दाल
नमक और जीरा उद्यत हैं
बिहँस रहा है थाल
ठीक भोर में सजी मिलेगी
पूरी की जागीर

राजमहल में नौबत बजती
घंटों के सहयोग
फैले चारों ओर क्षितिज तक
शंखनाद के योग
मगन अयोध्या, सरयू का तट
पहुँचे हुए कबीर

- शिवानन्द सिंह 'सहयोगी'
१ अप्रैल २०२०

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter