चरण में शरण दीजिये

 
  राम हमको चरण में शरण दीजिये
भक्ति का दीप उर में
जलाते रहें

क्या कपट लोभ, क्या पुण्य, क्या पाप है
क्यों अहिल्या ने झेला यहाँ शाप है
कर्म का लेख ये सब
बताते रहें

सब हमारे लिए बंधु बांधव रहें
रूप मन में धरे मात्र राघव रहें
भ्रात लक्ष्मण सा' हम
नेह पाते रहें

वैर ईर्ष्या कहीं भी न संत्रास हो
सत्य की जीत का मन में विश्वास हो
रीत रघुकुल की सबको
सुनाते रहें

भस्म कर दें अहंकार के नीड़ को
नष्ट कर दें घिरी आसुरी भीड़ को
सूर्य सुख शांति का हम
उगाते रहें

प्रेम का ये समुन्दर न सूखे कभी
द्वार से लौट जाएँ न भूखे कभी
नेह का जल सभी को
पिलाते रहें

- पुष्प लता शर्मा
१ अप्रैल २०२०

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