तुलसी का राम

 
  तुलसी का राम भक्त के शब्दों को गह गया
मस्ती में वो फकीर, राम-राम कह गया

शब्दों में भाव, भावना में, राम था बसा
है शब्द ब्रह्म, एक ही आधार, कह गया

हर नाम राममय हुआ, हर काम राम का
पत्थर पे नाम लिख दिया, सागर में बह गया

शब्दों का फेर हैं सभी, क्या राम, क्या रहीम
जो भाव मे उतर गया, चुपचाप रह गया

तुलसी, कबीर, मीरा, औ" रसखान का भी राम
जीवन बदल गया, बस एक राम रह गया

- उमेश मौर्य
१ अप्रैल २०२०

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