तुलसी का राम

 
  दूत धरा पर फिर से भेजो, रघुकुल नन्दन राम
मर्यादा सिखलाओ सबको, रघुकुल नन्दन राम

फिर से कोई हो न "निर्भया", इतना वादा कर दो
हों निर्भय हम, आशीषें दो, रघुकुल नन्दन राम

दिए गए वचनों का पालन, फिर प्राणों से प्रिय हो
रघुकुल वाली रीत चलाओ, रघुकुल नन्दन राम

कर्तव्यों में राजा के सबसे ऊपर हो जनता
दरबारों को यह बतलाओ रघुकुल नन्दन राम

अब सीता के सम्मुख हैं रावण और भी ज्यादा
हर सीता खुद ही सबला हो, रघुकुल नन्दन राम।

- सुवर्णा शेखर
१ अप्रैल २०२०

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