पावन एक स्वरूप है

 
पावन एक स्वरूप है, भिन्न-भिन्न हैं नाम।
जो सीता के राम हैं, वे ही राधेश्याम।।

दो अक्षर के नाम में, छिपा अनोखा ज्ञान।
वाल्मीकि ने जप किया, हो गये संत महान॥

रघुनन्दन की हो गयी, जिस पर कृपा अपार।
वो पत्थर भी पा गया, मानव का आकार॥

श्रद्धा से जिसने जपा, प्रभु राम का नाम।
तन-मन निर्मल हो गया, पावन पाया धाम॥

मन में हो यदि भक्ति तो, ना होगी फिर देर।
रघुवरश्री खुद आएँगे, खाने जूठे बेर॥

मंदिर-मंदिर पूजते, घूमे चारों धाम।
मन में ना ढूंढा कभी, जहाँ बसे श्रीराम॥

चाहे नंदकिशोर हों, चाहे हों श्रीराम।
सबका ही जीवन रहा, मानवता के नाम॥

---सुबोध श्रीवास्तव
१ अप्रैल २०१९

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