पुरुषोत्तम श्री-राम कथा

 
सजने लगी अयोध्या मन की
व्रत रखता उपवास

बुरी शक्तियों के हटने का
नवमी एक प्रतीक
दैव शक्तियों के आने का
अवसर एक सटीक
रामलला के दरबारों में
चली भक्ति की आस

सत्संगों की आवाजाही
पूजा-कथा समीप
श्लोकों के मन्त्रोच्चारण की
शक्ति दिलाता दीप
रामजन्म की अमर-कथा का
गूँज रहा इतिहास

आत्म शुद्धता यह शरीर की
पौराणिकता पाठ
‘सियाराम जय श्रीराम का’
जाप एक सौ आठ
आत्म-निवेदन की संज्ञा का
नैतिक नेक विकास

चैत्र शुक्ल नवमी का भौतिक
यह है एक पलाश
पुरुषोत्तम श्रीराम-कथा की
कविता एक तलाश
भक्तिकाल को पा जाती है
मानवता की प्यास

- शिवानन्द सिंह 'सहयोगी'  
१ अप्रैल २०१९२२ अप्रैल २०१३

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