राम की महिमा

 
हे राम ! फिर से लो अवतार
जुड़ें दिलों से दिलों के तार

राम की महिमा अपरंपार
जब - जब सुनते करुण पुकार
दौड़े आते करुणाधार
करने दुष्टों का संहार
किरपा अपनी बरसाके तुम
देते हो आनंद अपार
बनके उनका सुखद सहारा
बनते जग के पालनहार

विवेक, न्याय, धर्म, सत्य का
जब-जब जग में हुआ विरोध
तब-तब तुमने जन्म लिया है
ठाना असुरों से प्रतिशोध
और आयोध्या में मन की जब
राम - नाम का हो उजियार
हो जाती तब भव सागर से
जग-जीवन की नैय्या पार

- मंजु गुप्ता
१ अप्रैल २०१९२२ अप्रैल २०१३

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