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छोड़ते हो धीरे से, चलते हुए हाथ
और मुझे देते हो, जीने की सौगात
लड़खड़ाऊँ जब जब, तब थामते हो तुम
ओ बाबा कितने, प्यारे हो तुम
अपने शब्दों से तुम, मुझको देते शक्ति
डटकर जीने कि तुम, जगाते हो आसक्ति
बिखरा दूँ मै जब, समेटते हो तुम
ओ बाबा कितने, प्यारे हो तुम
वृक्ष रूप से मुझ पर छाया धरते हो तुम
आकाश जितना मुझसे प्रेम करते हो तुम
जीत जाऊँ मैं तब, नाचते हो तुम
ओ बाबा कितने, प्यारे हो तुम
९ जून २००८
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