यौवन देहरी
सपन सलौने
छूटी गुडिया
और खिलौने
नील गगन
ऊँची उड़ाने
अपने सारे
लगें बेगाने
मन पहेली
उमंग नवेली
संग सहेली
नई अठखेली
चूडी कंगना
बिंदिया गहना
मन लुभाये
दर्पण भाये
डोली कहार
छूटा घरद्वार
बाबुल मैया
बहना भैया
भीगे नैना
अश्रु विदाई
बाबुल देहरी
लाँघी आई
हाथों मेंहदी
पावों ललताई
अंगुठी बिछुए
पैंजन छनकाई
मैका सूना
ससुराल बधाई
बाबुल बिटको
हुई पराई
मोहिन्दर कुमार
९ जून २००८
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