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पिता के लिये
पिता को समर्पित
कविताओं का संकलन
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है कितना कमजोर पिता
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कथनी से करनी तक
है कितना कमजोर पिता
"चोरी है अपराध"
सीख देता है चोर पिता।
घर से लेकर सरकारों तक
यही फजीहत है
शिक्षक, नेता, पिता, धर्म का
काम नसीहत है
कूटनीति से खींच रहा है
घर की डोर पिता।
केवल माँ का प्यार प्राप्त कर
बच्चे बड़े हुए
बच्चे गलत पिता के सम्मुख
तनकर खड़े हुए
उस दिन से अनुशासन पर
देता है जोर पिता।
घर से भागे हुए पिता ही
देश चलाते हैं
इसीलिए वे
जिम्मेदारी से कतराते हैं
घर से लेकर सरकारों तक
हैं हर ओर पिता।
- जहीर कुरैशी
१५ सिंतंबर २०१४ |
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