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पिता के लिये
पिता को समर्पित कविताओं का संकलन
 

 

बाबू जी

अपनी शर्तों पर जो बहती
वो जलधारा
थे बाबू जी

शब्द शब्द उनका था गीता
जैसा पावन
दया, प्रेम, करुणा, ममता के
थे नंदनवन
चिंताओं से टूटे मन की
खातिर गारा
थे बाबूजी

हँसी-हँसी में गलत-सही वो
जतला देते
गूढ़-ज्ञान बातों बातों में
समझा देते
मन के राजा, भेष फकीरी
हाँ, इकतारा
थे बाबूजी

नेत्र दान कर अँधियारों को
सौंप उजाला
अन्त्य गमन की बेला को कर
गए शिवाला
कथनी-करनी एक जहाँ थी
वो गलियारा
थे बाबूजी

- सीमा अग्रवाल
१५ सिंतंबर २०१४

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