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पिता के लिये
पिता को समर्पित
कविताओं का संकलन
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याद आ रहे दादा
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पितरपक्ष में याद आ रहे
मुझको मेरे दादा
सर पर पग्गड़ बाँधे, मूछें
नत्थूलाल से ज्यादा।
अक्षर ज्ञान उन्हीं से पाया
दो दुनि चार पहाड़ा
मुश्किल से बाँधना सिखाया
पैजामे का नाड़ा
मेला ले जाने का हरदम
पूरा करते वादा
पितरपक्ष में याद आ रहे
मुझको मेरे दादा!
माता पिता गुरू वो मेरे
थे वो मेरे गुइयाँ
बरमदेव पीपल पर रहते
नीचे देवी भुइयाँ
हर टेढ़े सवाल का उत्तर
मिलता सीधा सादा
पितरपक्ष में याद आ रहे
मुझको मेरे दादा!
सूरदास के पद थे दादा
मानस की चौपाई
उनकी बातों से जीवन में
जीतीं बहुत लड़ाई
गुण सूत्रों से मैंने पाया
उनका अटल इरादा
पितरपक्ष में याद आ रहे
मुझको मेरे दादा!
- डॉ. प्रदीप शुक्ल
१५ सिंतंबर २०१४ |
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