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पिता के लिये
पिता को समर्पित कविताओं का संकलन
 

 


पिता (दस क्षणिकाएँ)

(एक)
पिता
विशाल बाहुओं का छत्र
वट वृक्ष
हम पौधे
फ़लते फूलते
वट वृक्ष की
छाया में।

(दो)
पिता
अनन्त असीमित आकाश
हम सब
उड़ते नन्हें पाखी।

(तीन)
हम
लड़खड़ाते
जब जब भी
सम्हालते पिता
आगे बढ़ कर
बाँह पसारे।

(चार)
आँसू
बहते गालों पर
ढाढ़स देता
पिता के खुरदरे
हाथों का स्पर्श।

(पांच)
पिता
बन जाते उड़नखटोला
हम करते हैं सैर
दुनिया भर की।

(छः)
हमारी ट्रेन
खिसकती प्लेटफ़ार्म से
पिता
पोंछ लेते आँसू
पीछे मुड़कर।

(सात)
पिता
बन जाते हिमालय
कोई आक्रमण
होने से पहले
हम पर।

(आठ)
जब भी
आया तूफ़ान कोई
हमारे जीवन में
पिता बन गये
अजेय अभेद्य
दीवार।

(नौ)
पिता
बन गये बाँध
समुन्दर को
बढ़ते देख
हमारी ओर।

(दस)
पिता
बन गये बिछौना
हमें नंगी जमीन पर
सोते देख कर।


- डा. हेमन्त कुमार
१५ सिंतंबर २०१४

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