1
पिता के लिये
पिता को समर्पित कविताओं का संकलन
 

 


मात पिता के प्यार भरे साये में 

मात पिता के प्यार भरे साये में जो पलता है
समझो जग का सारा सुख वैभव उसको फलता है

पूज्य पिता के परिश्रम से होता है घर का पोषण
उनकी प्यार भरी बातों में पावन निश्छलता है

भाव निराशा के तज कर आगे ही पथ पर बढ़ते
अन्धेरे में जैसे आशा का दीपक जलता है

हर मुश्किल पर पूर्ण विजय पाने में वे जुट जाते
थोड़ी सी भी कमियाँ हों तो उनको यह खलता है

सबके हित की चाह हमेशा अपनी परवाह नहीं
जैसे कोई हिमगिरि चुपके चुपके से गलता है

आपस में सहयोग किया करते घर के लोग सभी
किन्तु पिता के अर्थोपार्जन से ही घर चलता है

नैतिकता की राह दिखाते खुद चल कर दिखलाते
उनके आचरणों में दिखती बिल्कुल निर्मलता है

- सुरेन्द्रपाल वैद्य
१५ सिंतंबर २०१४

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter