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रंग की बारिश

 

  रंग की बारिश में भीगा ये जहां अच्छा लगा
झूमने धरती लगी ये आसमां अच्छा लगा

मेल के दिन जब मिले झूमी बहारें रात दिन
आज हम बिछडे हैं तो दौरे खिजां अच्छा लगा

दूसरे की आग में तापे जिन्होंने अपने हाथ
आज घर उनका जला उठता धुआँ अच्छा लगा।

ईद आए दीप जागें रंग बरसें शान से
हमको धरती पर फकत हिन्दोस्तां अच्छा लगा।

हम किसी भी भीड के हिस्से बने ना आजतक
बस खुदा की राह का इक कारवां अच्छा लगा।

घूम के हारे जहां भर में ना पाई शांति हमने
लौट के आए जो घर तो आशियां अच्छा लगा।

-संजय विद्रोही

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